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“जमीन” खोदने वाला –
दोनों के हाथ में ‘छूरी’
“मुर्गा” मै हूँ
बीच में पड़ा –
एक खिलौना
किसी का पाला
आँखों का नूर .
एक तिलक है ‘लाल’ लगाये
दूजा ‘काला’ -नाग सरीखा
झंडे दोनों के हाथों में
उसमे छुपा है ‘डंडा’
एक ‘हथौड़ा’ कील वहीँ -कुछ.
पुलिस बीच में मूक -खड़ी है
किधर मुड़ जाये क्या जानू मै .
देखा है गाँव में
जिसकी लाठी उसकी भैंस
– हथौड़ा मारते ‘गर्म लोहे’ पर-
रोटी सेंकते ‘ अपनी’ – गर्म तवे पर
“भीड़” है – सभी तबके के लोग,
“शामिल” हैं हाथ में ‘फावड़ा’ लिए
– जमीन खोदने वाला –
मजदूर – श्रमिक
भेंड़ है भीड़ -पर्यायवाची
किधर भी मुड़ जाये
मशाल है – फायर ब्रिगेड भी
बीच -बीच में चूँ -चूँ करती अम्बुलेंस –
दौड़ती अहसास करा देती
तरह -तरह की तैयारियां पूरी हैं ..
. उठा कर हमें -लाद ले जाने की
अस्पताल तक
आक्सीजन सिलिंडर में
अगर बची हो कुछ साँसे –
दो बूँद पानी.
सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमर २७.०२.२०११ जल पी.बी. ९.४० मध्याह्न
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