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जमीं खोदने वाला -शुक्लभ्रमर५-कविता-हिंदी पोएम

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
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“जमीन” खोदने वाला –

   दोनों के हाथ में ‘छूरी’

“मुर्गा” मै हूँ

बीच में पड़ा –

एक खिलौना

किसी का पाला

आँखों का नूर .

  एक तिलक है ‘लाल’ लगाये

 दूजा ‘काला’ -नाग सरीखा

 झंडे दोनों के हाथों में

उसमे छुपा है ‘डंडा’

 एक  ‘हथौड़ा’ कील वहीँ -कुछ.

   पुलिस बीच में  मूक -खड़ी है 

किधर   मुड़ जाये  क्या   जानू   मै .  

 देखा है गाँव में

  जिसकी लाठी उसकी भैंस

– हथौड़ा मारते ‘गर्म लोहे’ पर- 

 रोटी  सेंकते  ‘ अपनी’  –  गर्म तवे पर

 “भीड़” है – सभी तबके के लोग,

 “शामिल” हैं हाथ में ‘फावड़ा’ लिए

 – जमीन खोदने वाला –

मजदूर –  श्रमिक

 भेंड़ है भीड़ -पर्यायवाची

किधर भी मुड़ जाये

 मशाल है – फायर ब्रिगेड भी

बीच -बीच में चूँ -चूँ करती  अम्बुलेंस –

दौड़ती  अहसास करा देती 

तरह -तरह की तैयारियां  पूरी हैं ..

. उठा कर हमें -लाद ले जाने की 

 अस्पताल तक 

आक्सीजन सिलिंडर में 

अगर बची हो  कुछ साँसे –

दो बूँद पानी.  

सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमर २७.०२.२०११ जल पी.बी. ९.४० मध्याह्न

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