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“परसो” हे तजुर्बेकार –
पहले आचार -मिर्ची ???
रोटी -दाल-भात …
पूड़ी -कचौड़ी-
फिर नमक ‘सुपाच्य”
हर चीज की अहमियत है
अपनी ‘मांग’
समय पर – समय है बलवान
मिठाई तो सबको पसंद है
हर दिल को भाये
शुरू से अंत तक क्या वही परसा जाये ???
जो लोगों को आकर्षित करे-
खींच लाये बाजार गर्म करे –
जेब भरे – लाखों को तिल तिल रुलाये .
कराहते -मरते लोगों को –
परसो तो दवा- सहायता
तमाशा -फोटो -विडिओ
कितना जायज है -भाई बता .
जलते हुए घर में प्यासे को
परसो -पानी
न फोटो -न मिर्च मसाला
हे अज्ञानी .
विश्वास कर लेंगे लोग
तेरी कहानी.
जली -राख और बुझा -चेहरा देख
कैसे लगी आग- और कैसे बरसा पानी .
बहिष्कृत -उपेक्षित अँधेरे में भटके
दुबके-जीते-कराहते- गोली खाए
लोगों में जीवन -दुआ – प्यार परसो.
घृणा -कलंक -इतिहास – नफरत न परसो
जेठ की दुपहरी नहीं – सावन सा झूम झूम बरसो .
पोथी -कुरान -रामायण -बाइबिल
को दूर रख दो मंदिर में -मस्जिद में –
चर्च -गुरूद्वारे में
ऊँचे रख – शीश झुका –
सबका सम्मान कर दो
तिनका -घोंसला -आश्रय ठिकाना
बीन -बीन -चुन -चुन परसो
बना दो नया मंच एक
“मानव” का “प्रेमी” का
इंसा -इंसानियत का
“पावन” एक यज्ञ करो
“साथ में ” बिठा दो
“लंगर” चला दो
मधुर गीत ” शहनाई”
थोडा सा चटपट
और इतनी मिठाई परसो –
जो इन्हें पचे
हे तजुर्बेकार !!.
सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमर २७.२.११ जल पी बी ६.५० पूर्वाह्न .
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