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मेरी कविता खट्टी -मीठी शबरी का है बेर-शुक्लाभ्रमर-कविता -हिंदी पोएम्स

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
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 मेरी कविता खट्टी-मीठी शबरी का है बेर..

   मेरी कविता -प्यारा सा इक तेरा चेहरा

 भोली आँखें – ‘नूर’ भरा है

‘उस’ चेहरे का तपता-बुझता

दर्पण सारा  – क्रूर   भरा है .  

मेरी कविता खट्टी- मीठी 

 शबरी का है बेर 

सीता-राम का गुण गाती ये 

 दुर्गा का है शेर .  

आओ हाथ मिला लें हम सब 

‘एक जाति’ हम-भाई 

झंडा गाड़ सकें सूरज पर 

 पार करें हर खांई .  

 इस कविता में चुन के रख दो 

 दर्पण ईंट व गंगा पानी 

 महल बने -धोएं सब चेहरे,

 गले मिलें -दुनिया के प्राणी   

 टिमटिम-तारे -प्यारी चंदा 

धूमकेतु संग -राहू-केतु हैं  

  मलयागिरि की मस्त हवाएं 

 अंधड़ उजाड़ – तूफ़ान भरा है  

 कविता है संगीत-सुरमई

भैरव-ताल-मृदंग भरा है

खुश्बू है कलियों फूलों की

समर “पंक’ सरोज खिला है  

   मधुर-माधुरी -रस -पराग है

 चंदा -चातक-मद -भौंरे हैं

विषधर-मणि- गोपी -कृष्णा हैं

 जीवन -दाई जहर भरा है .  

शहनाई -दूल्हा -घोड़ी है ,

अंकुश-चाबुक-विरह -व्यथा है,

दुल्हन सजी -अप्सरा-हंसती

विधवा-व्यथा-‘कपाल’ भरा है

 

धीर-धरम-शिव-सत्य भरा है

सत्यम शिवम् सुन्दरम से तो .

धरिस्त-चोर-बदनाम यहाँ है

भ्रष्ट -नीच -चढ़ – मंच खड़ा है .

 

माँ-ममता -आँचल -मनभावन

बंजर -बाँझ-विदीर्ण- हुआ मन

जलसे -उत्सव-वर्षा -सावन

सूखा पाथर -भूखे का मन .

 

चूस-चूस रस लेते भौंरे

‘तितली’ ‘सोलह -श्रृंगार’ भरा है

इन्द्रधनुष हैं -झूमते बादल

मेरी दुनिया में -“अकाल” बड़ा है.

 

सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमर

२७.०२.२०११ जल पी.बी.

नारी..पतंग..कोयला..घाव बना नासूर ….

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