Menu
blogid : 4641 postid : 270

नौवां दिन – माता सिद्धिदात्री का – आइये इनकी चरण वंदना करें

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
  • 301 Posts
  • 4461 Comments

नौवां दिन – माता सिद्धिदात्री का – आइये इनकी चरण वंदना करें
“देवी मन्त्र”
या देवी सर्व भूतेषु माँ रूपेण संस्थिता
या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता
या देवी सर्व भूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता
या देवी सर्व भूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
2479394370053901244teNawa_th
(फोटो साभार अन्य स्रोत से लिया गया)
माँ दुर्गा का नौवां स्वरुप माता सिद्धिदात्री का है . आज इस नवरात्रि पावन
पर्व का अंतिम दिन जिसे हम नवमी के नाम से जानते हैं पूजते हैं . इनके साथ आठ सिद्धियाँ जुडी हुयी हैं जिनकी प्रदाता माँ दुर्गा हैं और अपने प्रिय भक्तों पर अपना आशीष बरसा जाती हैं वे हैं अनिमा, महिमा गरिमा , लघिमा ,प्राप्ति, प्राकर्न्य ,ईशित्व, और वशित्व. जिनका वर्णन विषद है और संक्षेप में हम यह समझ लें कि इससे हमें हर चीज क़ी प्राप्ति होती है चाहे वह गरिमा , महिमा, यहाँ तक कि ईश्वर क़ी भी प्राप्ति संभव है,माँ को हम प्रेम से भजें और और इनकी सिद्धियों का प्रसाद हम पायें तो आज के इस तप्त संसार में भी हम शांति क़ी प्राप्ति कर अपने मन को शीतल बना कर सब कुछ शीतल कर एक अनूठा योगदान दे सकते हैं – माँ शक्ति इन सभी आठों सिद्धियों क़ी प्रदाता है ऐसा कहा गया है ‘ देवी पुराण में कि हमारे सर्व शक्तिमान प्रभु शिव ने भी ये शक्तियां माँ शक्ति कि आराधना पूजा करके प्राप्त की.

darshan19_sm
(फोटो साभार अन्य स्रोत से लिया गया)
माँ शक्ति की कृपा से शिव जी का आधा शारीर माँ शक्ति का हो गया था और इसी से हमारे पूज्य शिवजी का एक नाम अर्धनारीश्वर पड़ गया और विख्यात हो गया
चक्र , गदा, शंख , पुष्प, माँ के कर में सुशोभित है आओ माँ की सच्चे मन से आराधना करें उन्हें लाल चुनरी नारियल सिन्दूर धूप दीप ज्योत जला के प्रसन्न करें और चूड़ियाँ भी उन्हें सुहाग की जो भाती हैं चढ़ाई जाती है

माँ अपने इस नौवें स्वरुप सिद्धिदात्री में सिंह पर आरूढ़ हैं और चार भुजा धारिणी हैं .माँ शक्ति सभी अष्ट सिद्धियों की प्रदाता हैं हमें यह हमेशा याद रख अपनी शक्ति का वरदान येन केंन प्रकारेण माँ की आराधना कर हासिल करना ही है . ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार १८ प्रकार की प्राप्तियां बताई गयी हैं जो हैं अनिमा, महिमा, गरिमा ,लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व , वशित्व, सर्वाकमल , सधित्य, सर्वग्यनात्व,दुर्श्रवना,पर्कायाप्रवेशन,वाकासिद्धि,कल्पवृशात्व , श्रृष्टि , सम्हार्कारान्सामार्थ्य , अमरत्व , सर्वन्ययाकत्व , भावना और सिद्धि . अधिकतर कमल पर विराजमान , प्रायः चार भुजा वाली , और अलग अलग तरह की सिद्धियों की प्रदाता माँ अपने भक्तों पर इन दिनों और भी मेहरबान रहती हैं और हम यदि शुद्ध मन से उनका पूजन आवाहन करें तो माँ शक्ति हमारे अन्दर एक अद्भुत शक्ति दे ही जाती है , माँ सिद्धिदात्री का तीर्थ स्थान हिमालय की नंदा पर्वत श्रेणियों , पहाड़ियों में माना जाता हैं -हमारी नारी समाज इन नौ दिनों में माँ का व्रत रख कन्याओं को भोज करा उनका आशीष पाती हैं और अपने साथ साथ हम में भी शक्ति का संचार करती हैं -हे माँ जगद जननी दे हम सब को आशीष की इसी नवरात्री सा पावन हमारा हर दिन और हर रात्रि बना रहे. माँ अन्नपूर्णा हमारे हर संताप पाप रोग शोक दूर भगाती हैं हे माँ तुझे कोटिशः नमन

माँ का वर्णन करना वैसे तो हम जैसे क्षुद्र जीव द्वारा कदापि संभव नहीं फिर भी उनके गुण का बखान करना गुणगान करने के हक़दार तो हम हैं ही किसी भी प्रकार की त्रुटियों के लिए कृपया क्षमा करें
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
12.04.2011

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh