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मदभरी बदरिया यूं छलकी

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
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अन्ना जी हाशिये पर चले गए वकील साहेब ने उन्हें धोखा दिया या जो भी हो बाबा ने फिर हुंकार भरी है होना सब संसद से है जब इतने आगे बढ़ चले तो अब जड़ काटने में समय तो बहुत ही लगेगा गहराई तक सब आओ हाथ मिला बढ़ते रहें –
आइये लीक से हट मौसम के मिजाज का भी कुछ लुत्फ़ उठाइए दिल का बोझ हल्का रखिये न !!

परदेशी घन चले वहां से

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(फोटो साभार गूगल /नेट से )
पुरवाई कुछ झूम चूम के
शीतल करने जले जिया को
दौड़ी उडती आगे आई
सेज सजा ले गोरिया अपनी
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(फोटो साभार गूगल /नेट से )

कली फूल ला चुन चुन सारे
हर -सिंगार या खिले हुए कुछ
रात की रानी -रस-अंगूरी ….
सुन-सुन के रस भरी ये बतियाँ
गोरिया घूंघट में मुसकाई
हलचल उसकी बढ़ी बहुत थी
सुई तो जैसे ठहर गयी !!
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गोरी के मुखड़े दे आभा
किरणों ने दमकाया
चंदा ने दी धवल चांदनी

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(फोटो साभार गूगल /नेट से )
मेंहदी -हल्दी –ने रंग दिखाया
रंग -बिरंगे परिधानों से धरती ने– तो
तारों ने टिम-टिम चमकाया !!
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दीप जल गए बिजली चमकी
श्याम घर्नेरे बादल आये
छलकाए बूंदे सावन की
गोरी को बहु-बिधि ललचाये
उमड़ पड़ी फिर भीगी चुनरी
नदिया सागर में खोयी
तुलसी आँगन महक गयी
मदभरी बदरिया यूं छलकी !!
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पापी पपीहा तृप्त हो गया
मन मयूर सब नाच उठे
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इंद्र -धनुष ज्यों रचा स्वयम्वर
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स्वाति-नैना -दो -चार हुए

एक बूँद फिर मोती बन के
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अल्हड मस्ती की राह चली
सीपी -सागर -की गहराई में
अन्तर -तक थी उतर पड़ी
भेद-अभेद विषय सब भूला
आत्म-ब्रह्म में लीन हुयी !!
—————————–
(सभी फोटो गूगल/नेट से साभार लिए गए -इसके स्वामी द्वारा किसी भी आपत्ति के समय सब निकाल दिए जायेंगे)
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर
२९.०६.२०११ -जल पी बी

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