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शनि ग्रह -कटा-पेड़
स्थानीय देवता के कारनामे ..
चामुंडा देवी के पास जहां लोगों का दाह संस्कार किया जाता है कहते हैं की साल में २६५ दिन होते हैं तो २६४ लोग नहीं आते बल्कि ज्यादा ही २६६ तो आ ही जाते हैं ..ऊंचे नीचे पहाड़ .गहरी खाइयां ..कहीं दो पहाड़ के बीच बाँध जल से भरे काल दीखते हैं …अपने गंतव्य पर जा कर आ जाइये तो रात में लगता है गंगा में जौ बो के उपजा लिए ..
.ये सब रात में फिर भी भूत बन छाती पर चढ़ कर दबाते हैं …जोर से चीख और रोना आ जाता है शायद पड़ोस वाले सुनते ही हों ..लेकिन किसे होश सब जाम टकराए पैग लगाए ..इन हिमालय की वादियों में पड़े ..अब उन्हें क्या पड़ी हम सा रात रात भर जागें ??
अभी चार दिन पहले चार लोग कन्धा दिए किसी सज्जन को लिए चले गए इसी मेरे भवन के सामने से इसी गाँव से ..पीछे भारी भीड़ ..राम नाम सत्य है ..ये सत्य देखने कौतूहल वश मै भी निकला हाथ जोड़े हालांकि कुछ सत्य ख़ास नहीं दिखा वही सदियों का कहा सुना ..फूल माला ..भीड़ ..सब का फेंक कर आना – मुह में लकड़ी डाल –सर फोड़ .और ….
फिर पुनः अन्दर आ अपने काम में तल्लीन हो गया ….
चार दिन भी नहीं बीते की कल शुक्रवार को फिर कोई चल बसे इस दुनिया से न जाने सब का मोह क्यों भंग हो जा रहा ?…भीड़ ..फिर मै निकला अपने भवन से राम नाम सत्य है गाया और हाथ जोड़ अन्दर घुस आया …..
आज शनिवार पता चला कल जाने वाले बाबा यहीं मेरे सामने यानी पड़ोस के भाई जी के पिता थे जो दुसरे भाई के हिस्से बँटे थे पहाड़ों में ऊपर घर में रहते थे …..मेरे घर के सामने दायीं तरफ वरामदा और उसके आगे १५ फीट चौड़ी सडक ….फिर उन भाई जी का कोसी का पेड़ लम्बा ५० (पचास) फुट ऊंचा ..कुछ लोग सहयोगी आये रस्सी बाँधी गयी हरे पेड़ में और आराकसी पावर कटर लग गया ….मोटा पेड़ करीब एक मीटर परिधि का ……
मै अपने काम में व्यस्त ..जब लग जाओ तो भूख प्यास भी भूल जाती है …बच्चा मन कौतूहल तो बहुत हो रहा था की जा के देखूं पेड़ कैसे कट रहा …….
कहते हैं शनि महराज घूमते रहते हैं और कुछ अच्छा पुण्य काम भी देखते हैं ——-बही खाता लिखते हैं—– काले काले हैं पर मन के नहीं तन के बस ……शायद आये उड़े हमारे आस पास अब हमारे तीसरी आँख तो नहीं की उन्हें कुछ देखें ….
.हम तो दर्शन कर रहे थे हजरत निजामुद्दीन औलिया का अब्दुल रशीद जी के ब्लॉग पर कुछ शिकवा शिकायत भी …..कुछ यादें जुड़ जाती हैं हमारे साथ हमेशा के लिए …दुवाएं ले हम अब पधारे ..
“राजकमल इन पञ्चकोटि महामणि कौन बनेगा करोड़पति” !!! में जहां की हमारे भ्राता श्री मशगूल थे पांच करोड़ पति बनने में ..आज कल कोई पांच अरबवां बच्चा बनना चाह रहा तो कोई पांच करोड़ का पति ……आनंद में हम खोये ही थे कि …….
जोर का धमाका बिजली कौंधी और अरा . र.. रा ..कि धडाम कीआवाज ..अब मुझसे नहीं रहा गया मन बेचैन सोचा बाहर निकलूँ …तो कैसे निकलूँ बड़ा भारी हरा भरा पेड़ डालियाँ पत्ते मेरा दरवाजा छत वरामदा घेरे ……..गाडी कि पार्किंग में पूरा सोया पड़ा …साथ में चार बिजली के खम्बे धराशायी ..केबल और ब्राड बैंड का मोटा केबल टेलीफोन का खम्बा सब …………….
सारा कुछ शांत …एक मोटर साईकल सोयी पड़ी ….इस पर सारे बिजली के तार …..सवार दूर गिर कर छिटक गया था शायद उसने भी शनि के लिए कभी काली गाय को रोटी या सतरंगी खिचड़ी खिला दी होगी ….
मै अवाक ..हतप्रभ ….भला हो शनि का अगर आ उन्होंने हमको नापा जोखा नहीं होता और ये बिजली का तार उसका कोण ४५ डिग्री नहीं कर देता ९० डिग्री होता तो पूरे के पूरे २५ फीट हमारे ऊपर ..और मेरे भवन के पूर्व और दक्षिण का एक कोना तोड़ते हुए वृक्ष महाराज ……गाडी पार्किंग की जगह में …….अब आप हालात समझ “भ्रमर” को कुछ और दुवा दे ही दीजिये ….हम आप सब के पहले से ही आभारी हैं …………. आप सब का आशीष ही रहा की मै कौतूहल से भरा वरामदे में नहीं निकला था जहाँ की अक्सर गुन गुनी धूप के लिए चहल कदमी करता हूँ
फिर जब हम बाहर झाँके-निकले .
…गधे की सींग से गायब रस्सी थामने वाले लोग आये रस्सी टूट विखर गयी थी ..कुछ और लोग फिर भीड़ ..बिजली वाले को फोन ….बिजली वालों कि उछल कूद यफ आई आर कि धमकी …उपप्रधान प्रधान का आना सब मिल समझाना ..सडक पर भीड़ ..रास्ता बंद न जाने क्या क्या हंगामा ..पावर कटर वाला फिर नहीं चेहरा दिखाया गाँव वाले मिल जुल आरा कशी ..
जब सारे लोग एक किसी के ऊपर पिल पड़ें तो उसे भगवान् ही बचाएं…इस हरे भरे पेड पर अक्सर नजर ठहरती थी ..अच्छा लगता था … हरा भरा पेड़ पट्टियां धूल चाटती मुरझाती ….दिल में दर्द भर गया ..बोटी बोटी काट उसे अलग कर डाले …..j
.फिर रात भर अँधेरे ठण्ड में काटना दुसरे दिन रविवार बिजली आई …
जय हो शनिदेव आप साढ़ेसाती ही नहीं चढाते जान बचाते भी हैं ..शनि का दिन स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी आधे दिन पर ही नहीं तो इतने बच्चे इस राह पर …न जाने कितना बड़ा हादसा हो जाता …..प्रभु सब का खैर करें ………..
पेड़ काटने वाले कृपया ध्यान रखें …
१- आप भीम नहीं हैं की कुछ भी थाम लेंगे सड़ी गली रस्सी लेकर ..अच्छी मजबूत रस्सी लें
२-बिजली के खम्बे– तार हों– तो बहुत सावधानी बरतें अच्छा हो बिजली वाले को थोड़ी देर के लिए बात कर मना लें …..और बिजली काट दी जाये आज कल तार के इतने जाल बिछे हैं की एक लाईन ट्रिप भी हुयी तो दूसरी से कनेक्शन चालू रहता है ….
३-काटते समय पेड़ को जिस तरफ गिराना है उस का सही आंकलन करें उस तरफ पहले कुछ कटाई करें -अधिक ऊंचाई से न काटें
४- यदि पास भवन हैं तो नजरअंदाज न कर घर वाले को बता दे –पेड़ कभी भी काबू से बाहर हो घूम जाता है -अच्छा हो पहले डालियों की छंटनी कर लें
५-यदि पास में सड़क या रास्ता है तो उधर किसी को खड़ा कर दें राहगीरों को बचाने हेतु
६- जब पेड़ लगभग कट चुका हो थोड़ा बाकी हो तो रस्सी से ही आजमाइश कर लें पेड़ के पास से हट जाएँ रस्सी लम्बी हो और ऊंचाई और मजबूत जगह पर बंधी हों
७- आज कल कुछ स्टील के तार और पुल्ली-विन्च मशीन से उपकरण प्रयोग में लाये जा सकते हैं जो आस पास किसी ठेकेदार के पास मिल जाते हैं -जिससे धीरे धीरे इतना कस देते हैं की पेड़ महराज बिना पूरा कटे ही जय श्री राम ….
और “भ्रमर ” जैसे बच्चों का जो की सदा कौतूहल से भरे कुछ घटना में देखने दौड़ जाते हैं को विशेष रूप से बचाएं -खुद को भी बचाएं क्यों की हरा पेड़ काटना जुर्म है इसकी इजाजत ऐसे वाकये में लेनी होती है !
शुक्ल भ्रमर ५
१३.११.२०११
यच पी
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
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