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झर -झर – फूल झरेंगे

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
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प्रिय मित्रों कुछ दिन आप से दूर रहना पड़ रहा है नेट की समस्याएं हैं फिर मिलेंगे ….
आइये आप का कुछ मन बदलें इस तनाव भरे माहौल में ..
नव वर्ष २०१२ की अग्रिम रूप से ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं …..प्रभु आप सभी को ढेर सारी खुशियाँ दें फूलों से हँसते खिलखिलाते रहें ये चमन हरा भरा रहे… हर क्षण हर पल आनंद दाई हो …
नया साल अच्छा होगा….
.जय श्री राधे ..

आओगी जब प्रिये– द्वार हमारे
झर -झर -फूल झरेंगे
सावन में मोर – मन
नाचेंगे तरुवर –झूम -झूम के
लताओं के — गले लिपटेंगे
अधरों को उनके –चूम चूम के
नैनों में झांके कुछ— ऐसे कहेंगे
आओगी जब प्रिये– द्वार हमारे
झर -झर – फूल झरेंगे
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डोली जो सजी -द्वार -आ पहुंचेगी
पुरवाई कानों में- मधु घोलेगी
अवधपुरी -थाल – फूल सजाये
कुमकुम व् हल्दी चन्दन-
कलश सजाये –
नाचेंगे सभी झूम -झूम के
दुल्हन को फूल- चूम चूम के
गायेंगे गीत – मन मीत के
आओगी जब प्रिये– द्वार हमारे
झर -झर – फूल झरेंगे
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दीप जले –फुलझड़ियाँ — छूटें
जलसा लगे – सज -सज सब घूमें
छप्पन भोग – जन -सौ सौ जुटेंगे
चन्दा दरस बिन – ना वे हटेंगे
रात रानी —- महक उठेगी
चेहरे की लाली फिर –जैसे पलाश हो
नजरें ——– ऐसे झुकेंगी
आओगी जब प्रिये– द्वार हमारे
झर -झर -फूल झरेंगे
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खींचे लिए चलीं – सखियाँ सहेली
कानों में कहें – ढेर – सारी पहेली
सेजिया बिठाये दुल्हन–नयी नवेली
जाएँगी चूम ——छोड़ -छोड़ के
चमकेगी चपला —जोर जोर से
बदरा —— छलक पड़ेंगे
धरती भी बूँदें –चूम चूम के
सोंधी सी ——-महक उठेगी
आओगी जब प्रिये– द्वार हमारे
झर -झर – फूल झरेंगे
——————————-
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
२७.१२.२०११ उ.प,

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