Menu
blogid : 4641 postid : 1621

नयन ‘ग्रन्थ’ अनमोल ‘रतन’ हैं

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
  • 301 Posts
  • 4461 Comments

images

नयन ‘ग्रन्थ’ अनमोल ‘रतन’ हैं दुनिया इनकी दीवानी
आत्म-ब्रह्म सब ‘भाषा’ पढ़ के डूब गए कितने ज्ञानी
ना भाषा से ना भौगोलिक नहीं कभी ये बंधते
पाखी सा ये मुक्त डोलते हर मन पैठ बनाते
प्रेम संदेसा ज्ञान चक्षु हैं बन त्रिनेत्र स्वाहा भी करते
खंजन नयना मृगनयनी वो सुन्दरता के साक्षी
दो से चार बने तो लगता जनम जनम के साथी

Green_Eyes_by_catsastrofic

इन्द्रधनुष से हैं सतरंगी लाखों रंग समाये
नयनों की भाषा पढ़ लो ‘प्रिय’ दुनिया समझी जाये
प्रेम नयन में क्रोध नयन में घृणा आँख दिखलाती
मन का काम संदेशा देता नयन बांचते पाती
कुछ पल छिन में दोस्त बनें कुछ नयन अगर मिल जाए
दिल के भेद मिटा के यारों अपना ‘दिल’ बन जाएँ
अस्त्र सश्त्र दुश्मन रख देते नैन प्यार जो पा लें
घृणा क्रोध जलता मन देखे नयन उधर ना जाते
गदराये यौवन मूरति, रस -लज्जा नयन छिपाते
सुन्दरता में चाँद चार लग ‘झुक’ नयन पलक छिप जाते
जैसे बदरी घेर सूर्य को लुका छिपी है खेले
नयन हमारे ‘मौन’ प्रेम से ‘भ्रमर’ सभी रस ले लें
मन मस्तिष्क दिल नयन घुसे ये जासूसी सब कर लें
यथा जरूरत बदल रूप ये सम्मोहित कर कब्ज़ा करते
Amber Eye Color - Different types of eyes .jpg
( सभी फोटो गूगल से साभार लिए गए )

नयनों का जादू चलता तो शेर खड़ा मिमियाए
कल का कायर भरे ऊर्जा जंग जीत घर आये
कजरारे, कारे, सुरमा वाले नयन मोह मन लेते
मन में राम बगल में छूरी , ये ‘कटार’ बन ढाते
कभी छलकता प्रेम सिन्धु इस गागर से नयनों में
ना बांधे ना रोके रुकता ‘नयन’ मिले ‘नयनों’ से
नाजुक हैं शीतलता चाहें रोड़ा बड़ा खटकता नैन
भावुक हैं झरने सा झर-झर प्रेम लीन देते सब चैन
प्रणय विरह व्यथा की घड़ियाँ अद्भुत सभी दिखाएँ
रतनारे प्यारे नयना ये भूरे नीले हर पल साथ निभाएं
नयनाभिराम मंच जग प्यारा अद्भुत अभिनय करते नैन
दर्पण बन हर कुछ दिखलाते ‘सांच’ कहें ना डरते नैन
उनके सुख के साथी नयना दुःख में नीर बहा रह जाएँ
जनम जनम की छवि दिखला के भूल कभी ना जाएँ
रतनारे ‘प्रेमी’ नयना ये जामुन जैसे प्रेम भरे रस घोलें
प्रेम के आगे रतन-जवाहर जन-परिजन सब छोड़ें
नयन झरोखे से दिखती सब अपनी राम कहानी
आओ शुद्ध रखें अंतर सब पावन आँख में पानी
झील से नयनों कमल-नयन हैं दुनिया यहीं समायी
प्रेम ‘ग्रन्थ’ लज्जा ‘संस्कृति’ है डूब देख गहराई
नयन पुष्प मादक पराग भर जाम पे जाम पिलाते
मधुशाला मदहोशी में उठा पटक कर नयन खोल भी जाते
संग जीवन भर करें उजाला दीप सरीखे जीवन-ज्योति जगाते
जाते – जाते नैन दान कर दिए रौशनी नयन ‘अमर’ हो जाते !

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ‘भ्रमर’५
कुल्लू यच पी
४.७.१२ ६.४०-७.४० पूर्वाह्न

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to rajuahujaCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh