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मधु से मीठी प्रेम रस से भीगी हिंदी की प्रेम पाती

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
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प्रिय मित्रों हिंदी के पावन पर्व पर आप सब को ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं ये कहना मिथ्या नहीं होगा की हिंदी के प्रचार प्रसार में हमारे द्वारा की गयी कोशिशों में अभी भी बहुत कमी है … जब तक जन जन में ये मुखरित नहीं होगी… गली मोहल्ले में मिश्रित वर्णों से परे शुद्ध हिंदी के दर्शन नहीं होंगे …हम माँ को मोम और अपने पूज्य पिताश्री को डैड कहते रहेंगे सुप्रभात कहने में लजायेंगे और गुड मार्निंग ही बोलने में अपनी शान समझेंगे…. त्रिचक्र वाहिनी वाले भाई जी हमें दूरदर्शन आकाशवाणी और विश्वविद्यालय क्या हैं ? बोल कर… नहीं पहुंचाएंगे, लोग घर में हमारे अतिथियों के आगमन पर चेयर टेबल मंगा कर टी ही भेंट करेंगे, कुर्सी, मेज, चाय, रसपान सब भूल जाएगा और सारा गुड गोबर हो जाएगा फिर हमने किया क्या ?? क्या पाया ? केवल एक हिंदी दिवस पर संकल्प लिया अपील की १४ सितम्बर १९४९ को याद किया हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया बोल डाला , खाया पिया मौज मस्ती बस ….

नहीं मित्रों कुछ संतोष तो हुआ है, हमारे कदम बढे हैं, हिंदी को प्रेम बहुत मिला है, हम चिट्ठे वाले अपनी हिंदी माँ को जब से इतना प्रेम देना शुरू किये मीडिया अखबार हिंदी दैनिक ने भी साथ निभाया है, बहुत से शब्द जो हम भूलने लगे थे अब घर घर में चर्चा में आने लगे, बच्चे हिंदी बोलने लगे कुछ अंग्रेजी विद्यालयों में अब भी प्रतिबन्ध है …पर हिंदी का अस्तित्व है अंग्रेजी न पढ़ी जाय अन्य भाषा न बोली जाये, ऐसा न करना अच्छा होगा जितनी भाषाओँ का ज्ञान हम रखे सकें अच्छा है लाभ ही होगा लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए की ..
“निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल”
हिंदी हमारी आन है शान है जान है
हिंदी हमारे दिलों की धड़कन है
हिंदी सब भाषाओँ में एक पुल का कार्य कर रही है
आज केंद्र सरकार और राजभाषा विभाग अपने कार्मिकों को हिंदी परीक्षा में सफल होने पर पुरस्कार पत्र और हिंदी भत्ता दे रही हैं !
हिंदी में काम करना आसान है शुरू तो कीजिये !
मिले जुले अंग्रेजी उर्दू फ़ारसी के शब्दों से बच कर…. आइये शुद्ध हिंदी बोलने लिखने का सतत अभ्यास करें दुरूह है पर असंभव नहीं !
पीड़ित गरीब लोगों के बच्चे जो अंग्रेजी से दूर हैं उन्हें भी हिंदी में गुणवत्ता वाली पुस्तकें मिलें हिंदी में परीक्षाएं देने का अवसर मिले, उनकी प्रतिभा निखरे मन प्रफुल्लित हो, हिंदी जन जन के गले में हार बन कर सुरभित हो, पल्लवित हो, पुष्पित हो …. तब हमारे विकास का सपना …..सपनों का भारत आगे बढे खुशियाँ बरसें हरियाली खुशहाली चहुँ ओर समग्र विकास और हर चेहरे पर मुस्कान ले कर आये !
किसी कवि ने ठीक ही कहा है ….
हिन्दी दिवस पर
अपनी मातृभाषा की उनको
बहुत याद आई,
इसलिये ही
‘हिन्दी इज वैरी गुड’ भाषा के
नारे के साथ दी बार बार दुहाई।
————
शिक्षक ने पूछा छात्रों से
‘बताओ अंग्रेजी बड़ी भाषा है या हिन्दी
जब हम लिखने और बोलने की
दृष्टि से तोलते हैं।’
एक छात्र ने जवाब दिया कि
‘वी हैव आल्वेज स्पीकिंग इन हिन्दी
यह हम सच बोलते हैं।’
आज भी दक्षिण भारत में जब हम भ्रमण करते यत्र तत्र पहुँच जाते हैं तो कुछ जगहों पर हिंदी से दूरी बहुत खलती है, कचोटती है हमारे मन को , दक्षिण से लोग जब उत्तर तरफ आते हैं उन्हें भी हिंदी का बोध न होने से बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है कुछ लोग तो अंग्रेजी बोलकर काम चला लेते हैं लेकिन बहुतेरे तो मजधार में ही अटक जाते हैं अतः हमें हिंदी को प्रेम से गले लगाना चाहिए…. कतई इसका विरोध नहीं करना चाहिए ….यथा संभव हम इसे बोलते रहें …सीखते रहें… सिखाते रहें …तो आनंद और आये …
हमें विश्वास है, आस है , उम्मीद के पर मजबूत हुए हैं लाखों की संख्या में हमारे हिंदी चिट्ठों ने अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है लोगों के दिलों में प्रेम जगा हैं अब जब दीप जल चुका है तो फिर रौशनी फैलेगी …और फैलेगी ……..और एक न एक दिन हमारा मुकाम अवश्य मिलेगा और जरुर मिलेगा अब कोई संदेह नहीं रहा …
प्रिय मित्रों आप सब के अद्भुत योगदान के लिए हार्दिक आभार आओ करते रहें हिंदी से यों ही असीम प्यार
व्यस्तता और समय कम होने से बस थोडा लिखा ज्यादा समझना …ये मधु से मीठी प्रेम रस से भीगी हिंदी की प्रेम पाती है …

जय हिंदी
जय हिंद
जय भारत
——————
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ‘ भ्रमर५ ”
करतारपुर पंजाब
ब्लॉगर प्रतापगढ़ उ.प्र भारत

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