Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
- 301 Posts
- 4461 Comments
बाप की पगड़ी में
——————–
बेशर्म लोगों की
बड़ी -बड़ी फ़ौज है
चोर हैं उचक्के हैं
लूट रहे मौज हैं
———————-
थाने अदालत में
‘चोर’ बड़े दिखते हैं
नेता के पैरों में
‘बड़े’ लोग गिरते हैं
———————
बूढा किसान साल-
बीस ! आ रगड़ता है
परसों तारीख पड़ी
कहते ‘वो’ मरता है
————————
बाप की पगड़ी में
‘भीख’ मांग फिरता है
‘नीच’ आज नीचे ‘पी’
गिरता फिसलता है
————————–
गधे और उल्लू का
बड़ा बोलबाला है
भक्त ‘बड़े’ चमचे हैं
जिनका मुंह काला है
————————-
नीति -रीति नियम -प्रीति
रोती हैं खोती हैं
विद्या व् लक्ष्मी भी
महलों जा रोती हैं
————————-
सूरज भी क्षीण हुआ
अँधियारा छाया है
राहु-केतु ग्रहण लगा
कौन बच पाया है ?
—————————–
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ‘भ्रमर’५
1.30 P.M.-2.08 P.M.
कुल्लू हिमाचल
26.08.2013
Read Comments