Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
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संकटनाशक गणेश स्तोत्र – प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्र विनायकम्
महालक्ष्मि अष्टकं – नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते
श्रीसुक्तम् – ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम्
आओ हर घर की देहरी पर दीपक एक जलाएं
अंतर्मन में अपने सब के जो प्रकाश भर जाए
हारे तम जैसे हारा है सदा सदा ये करें सुनिश्चित
माँ लक्ष्मी को पूजें मन से वर पाएं निश्चित ही इच्छित
सभी प्रिय मित्रों को सपरिवार इस दीपोत्सव की ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं। दिवाली का ये पावन पर्व सदा सदा हमारे दिलों से अंधियारा मिटाये ये समाज एक हो नेक हो समभाव से ओत प्रोत हो और उजाला हमारे मन के हर कोने में भर जाए । मंगल कामनाएं
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
Posted by Surendra shukla” Bhramar”5 at 5:41 am 0 comments
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