Menu
blogid : 4641 postid : 754683

पिता का त्याग

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
  • 301 Posts
  • 4461 Comments

father photo
(पूजनीय पिताश्री और माताश्री आप को शत शत नमन)
आज पितृ दिवस है, माता के साथ साथ हमारी जिंदगी में पिता की एक अनोखी और बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है ! माता-पिता जीवन देते हैं एक मिटटी से लोथड़े रुपी बुत में प्राण भरते हैं दिन दिन कितने कष्ट सह कर पाल पोस कर ऊँगली पकड़ चलना सिखाते हैं उसे बड़ा करते हैं गुरु की भाँति सिखाते हैं एक प्रहरी की भाँति दिन रात रक्षा करते हैं प्रेम, संस्कार ,जीवन-कला सिखाते हैं और जैसे एक पौधे में बचपन में कील गाड़ दी जाए तो वो आजीवन उसमे धंसी रहती है और अच्छा बुरा अपनी भूमिका तय करती है उसी तरह बालपन में भरे गए हमारे संस्कार नैतिकता, प्रेम सहनशीलता ,त्याग, आदर भाव बड़े छोटे के प्रति यथोचित सम्मान आदि आदि बहुत कुछ जो की यहां वर्णन करना सम्भव ही नहीं आजीवन मानव के काम आते हैं और उसी तरह हमारी जिंदगी की खुशनुमा राह बनती है !
पिता का त्याग , घर-परिवार बच्चों से दूर पड़े रहना , कभी कभी तो बच्चे कब बड़े हुए खेले खाए भी पता नहीं चलता , कोई पिता जैसे हमारे रक्षा कर्मी आदि जो परदेश में पड़े हैं बस आजीवन धनोपार्जन में लगे रहना , अपना सुख दुःख भूल किसी तरह से ये सोचना की हमारे लाल या ललना को किसी चीज की कमी नहीं हो उसकी पूर्ति करना ही मात्र उनका ध्येय होता है ऐसी कमी बहुत खलती है बालपन के साथ खेलना खाना भी उनके नसीब में नहीं होता और वे इस सुख से सदा ही वंचित रह जाते हैं !
बच्चों की रक्षा करना उसे नियम नीति गुर सिखाना और सबसे बड़ी बात दिल मजबूत करके अपने प्यारे दुलारे को जब जरुरत हो डाँट फटकार कर प्यार से किसी भी तरह से एक सीमा में बांधना अनुशासन सिखाना जो कि एक बहुत ही कठिन कार्य है, करना होता है , बच्चे जब बड़े होते हैं तो उच्छृंखल नदी झरने सा चल पड़ते हैं उन्हें सही दिशा देना बहुत ही महत्वपूर्ण है उस दशा में बच्चों से दोस्ती निभा प्यार जता की हम आप के शुभ चिंतक हैं संरक्षक हैं, मार्ग दर्शक हैं, अपना कार्य ठीक से कर ले जाना, एक बहुत बड़ी चुनौती होती है पिता के लिए, क्योंकि अक्सर जो पिता बाहर रहते हैं पिता का सामीप्य न पा उनसे लगाव जुड़ाव भी कम देखा जाता है !
बच्चे अक्सर माँ से प्रेम पाते -पाते कभी कभी बहक जाते हैं अनुशासन तोड़ने में उन्हें मजा आता है तब पिता की भूमिका बहुत ज्यादा होती है उन्हें सम्हालने में !
इस तरह से हम पाते है कि पिता की हमारे जीवन पथ में एक अहम् भूमिका है हमें सदा उनका आदर करना चाहिए और उनके द्वारा कहे गए कड़वे वचन पर भी सोचना चाहिए, उनके कर्म और संघर्ष के प्रति, उनके प्रति सदा नत-मस्तक हो नमन करना चाहिए तभी हमारा जीवन सफल होगा माँ बाप अपने अधूरे सपनों को अपने बच्चों के द्वारा पूरा करते हैं उनका ये सपना सच हो जाए वे सदा खुश रहें, आओ आजीवन उन्हें साथ रख हम सतत प्रयास करते रहें और उनकी देखभाल तथा भरपूर प्यार दें
सभी पिता को हार्दिक नमन …..
आज पिता जी से बहुत दूर पड़े उनकी यादों में खोये उनकी कर्मठता उनका हम सब बच्चों से लगाव , उनका त्याग सोच आँखें नम हो जाती हैं दूर दूर से बातें ही हो जाती हैं तो लगता है सिर पर उनका वरद्- हस्त और आशीष मिला, जीवन धन्य हुआ, अपने तथा सभी पिता को नमन
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
कुल्लू
हिमाचल १५.६.२०१४

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh