Menu
blogid : 4641 postid : 758977

कायर हैं वे लोग यहाँ नारी को आँख दिखाते हैं

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
  • 301 Posts
  • 4461 Comments

images

प्रिय मित्रों नारियों के प्रति दिन प्रतिदिन बढ़ता अत्याचार मन को बहुत बोझिल करता है जरुरत है बहुत सख्त और सजग होने की , बच्चों में संस्कार भरना बहुत जरुरी हैं उन्हें अनुशासन से कदापि वंचित नहीं करना है बेटा हो या बेटी उन के आचार व्यवहार पर नजर रखना जरुरत से अधिक मुक्त ना छोड़ना ये सरंक्षक का दायित्व है और इससे संरक्षक अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते अगर वे प्रेम से अनाचार दुराचार की राह से उन्हें बचा सके तो फिर केवल मनोरोगी से ही खतरा रहेगा जो की अक्सर नजर आ जाते हैं अपने क्रियाकलाप से उनकी हाव भाव भंगिमाओं को ध्यान दे कर काफी कुछ बचा जा सकता है
कानून को भी अतिशीघ्र निर्णय लेना होगा फैसला जितनी जल्द समाज के सामने आ सके फास्ट ट्रैक अदालत आदि द्वारा वह अमल में लाया जाए सरकार भी ऐसी संस्था बना रही है जो की पीड़ित नारियों को प्राथमिकी दर्ज करने अपना पक्ष रखने आदि में मदद करेगी …
आइये हम सब मिल कर ऐसा कृत्य करें एक सभ्य समाज का निर्माण करते रहें ताकि मानव को मानव कहने में शर्म न आये मानवता शर्मसार न हो तो आनंद अति आये
इस निम्न रचना को और लोगों / पाठकों तक पहुँचाने हेतु पुनः मै आप सब के सम्मुख रख रहा हूँ कृपया जो पाठक इस रचना को पढ़ चुके हैं मन पर ना लें ………………..

कायर हैं वे लोग यहाँ
नारी को आँख दिखाते हैं
कमतर कमजोर हैं वे नर भी
नारी को ढाल बनाते हैं
————————
कौरव रावण इतिहास बहुत से
अधम नीच नर बदला लेते
अपनी मूंछे ऊंची रखने को
नारी का बलि चढ़ा दिए
अंजाम सदा वे धूल फांक
मुंह छिपा नरक में वास किये
मानव -दानव का फर्क मिटा
मानवता को बदनाम किये
नाली के कीड़े तुच्छ सदा
खुद को भी फांसी टांग लिए
नारी रोती है विलख आज
क्या पल थे ऐसे पूत जने
कायर हैं वे लोग यहाँ
नारी को आँख दिखाते हैं
कमतर कमजोर हैं वे नर भी
नारी को ढाल बनाते हैं
=====================
इन अधम नीच नर से अच्छे
चौपाये जंगल राज भला
हैं वीर बहुत खुद लड़ लेते
मादा को रखें सुरक्षित सा
उनके नैनों में झाँक-झाँक
वे क्रीड़ा-प्रेम बहुत करते
शावक-शिशु मादा सभी निशा
हरियाली-खुश विचरा करते
दिन में असुरक्षित माँ -बहनें –
अपनी- कहते रोना आता
कायर हैं वे लोग यहाँ
नारी को आँख दिखाते हैं
कमतर कमजोर हैं वे नर भी
नारी को ढाल बनाते हैं
=========================
नारी -देवी-लक्ष्मी अपनी
संकोच शील की छवि न्यारी
बिन नारी भवन खंडहर हैं
मंदिर सूना -ना-प्रेम -पुजारी
तितली -बदली-चन्दा -गुलाब
हैं जेठ दुपहरी शीतल छाया
चन्दन-खुशबू-कुंकुम -पराग
मधु-मधुर बहुत अनुपम-माया
है यही मोहिनी सृष्टि यही
जन पूत उसी से मिटती भी
शीतल गंगा जग सींच रही
ना हो ऐसा वो उबल पड़े
पालन पोषण दुग्धामृत सब
जीवन अपना सब हाथ लिए
इस सृष्टि का मत कर विनाश
देखो कल हों कंकाल पड़े
नारी दुर्गा -काली -चण्डी
है रौद्र रूप बच के रहना
दया स्नेह संस्कार मूर्ति
हिय भरे नेह गर बच रहना
कायर हैं वे लोग यहाँ
नारी को आँख दिखाते हैं
कमतर कमजोर हैं वे नर भी
नारी को ढाल बनाते हैं
====================
इस उपर्युक्त रचना को और लोगों / पाठकों तक पहुँचाने हेतु पुनः मै आप सब के सम्मुख रख रहा हूँ कृपया जो पाठक इस रचना को पढ़ चुके हैं मन पर ना लें आप सब का बहुत बहुत आभार और धन्यवाद ……………….

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ‘भ्रमर ५ ‘
कुल्लू हिमाचल
भारत
7.30 A.M. -8.15 P.M.
13.06.2014

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh