Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
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दुर्लभ किस्म – नारी ??
उस मज़ार पर भीड़ लगी थी
नाच रही बालाएं – सज – धज
आरकेष्ट्रा – संगीत बज रहा
‘दाद’- दुलार – देखने का मन
खिंचा गया मैं !!
दिया मुबारक -और बधाई
वाह री बेटी !!!
कितना सुन्दर -माँ -बाबा ने
रीति सिखाई !!
कला -धर्म -संगीत है साधा >>>
तू पागल लगता है आधा <<<
"चच्चू" हम 'बेटी' -ना -'बेटे'
जब बालाएं हम सा बनती
रूप -रंग सब बदल रही हैं
'लूट' रही हैं – क्षेत्र हमारे
सोचा हमने – यहाँ पधारे
निर्जन – वन में !
धर्म स्थल में !!
'जटा' बढ़ाये !!!
नारी बनकर – रूप निखारे
नाच रही हूँ – मोह रही हूँ
लुटा रही हूँ -प्यार छुपा जो आँचल मेरे
आगे की पीढ़ी तो जाने
'दुर्लभ किस्म' है – नारी – भाई
इसे बचा लें !!
रूप रंग – कुछ – लाज – हया
पहचानें आयें !!!
सुरेन्द्रशुक्लाभ्रमर५
एक रेलगाड़ी की यात्रा में
12.02.2011
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