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नर्सिंग होम

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
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नर्सिंग होम
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कुकुरमुत्ते सा उगा
व्यापार का नया धंधा
फलता -फूलता
ना हो कभी मंदा
मेडिकल वाले उन्हें ही
अच्छा बताते हैं
रिक्शे वाले भाई
पकड़ यहाँ लाते हैं
भाड़ा नहीं – ‘कमीशन’ ले जाते हैं
अच्छा सा होटल है -ए.सी. है
हीटर है, गीजर है
टी वी है केबल है
पानी की बोतल-ग्लूकोज है
काफी हाल में बस
चहल -पहल -दिखता है
गली नुक्कड़ -चौराहे पर
खुले -होटल से शो -रूम
सजी नर्सें केरल से –
कन्या कुमारी का झरोखा दिखाती है
पांच सौ रूपये में रखी –
कुछ जूनियर डाक्टर्स भी
जबरन मुस्का जाते हैं
बड़े बड़े बोर्ड -दस-काबिल डाक्टर
लिखे दिख जाते हैं
भर्ती होने के बाद -चीखते – मरते
बमुश्किल -एक -नजर आते हैं
भर्ती से पहले –
जेब तलाश ली जाती है
फिर उपचार -आपरेशन
जंग -शुरू हो जाती है
अपनी टांगों पर चल के निकलें
या चार कन्धों पर
पहले पूरी रकम -पूँजी
जमा कर ही -छुट्टी दी जाती
बेबस लाचार जो केवल
रोटी ही जाने हैं
डॉक्टर बाबू को भगवान माने हैं
नहीं जानें एक – दो
क्या जानें किडनी – खून
बच बचा के जान
बेचारे कुछ दिन में
चोरी से भागे हैं !!
———————–
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल “भ्रमर “५
प्रतापगढ़ उ.प्र.२६.०७.२०११
६.१५ पूर्वाह्न जल पी बी

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