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आओ प्रियवर स्वागत कर लें (नए वर्ष का)

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
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आओ प्रियवर स्वागत कर लें (नए वर्ष का)

नव विहान में नयी ताजगी कण कण भर लें
दिल दिमाग मन मुक्त भाव से
नेह करें हम गले लगाएं शुभ सब लाएं
ऊषा सज-धज स्वागत करती देखो आई
नूपुर छन-छन स्वर्ण रश्मियाँ धरती लाई
जंगल-मंगल , हिम आच्छादित श्वेत पहाड़ी
खिले फूल मन-हर झरने हैं बदली छाई
रंग-बिरंगी ! अमृत वर्षा -नयी कहानी रचने आई
कल जो स्याह अँधेरा-धुंधला धोने आयी
नया उजाला भर के राह दिखाने आयी
मन-मौसम सच सब है बदला खुशियाँ छाई
आओ भर लें जोश होश से रचते जाएँ
थकें नहीं -दें दान-न छीने तो सुख पाएं
जो भटके हैं भ्रमित हुए पथ -गेह -नेह से फिर आ जाएँ
ना हो भय आतंक कहीं भी -शान्ति सुकूँ से सब सो पायें
स्वच्छ रखें परिवेश -स्वच्छ तो तन मन अपना
विश्व गुरू बन राज करें हम पूरा कर लें अपना सपना
मूल-भूत सारी सुविधाएँ जब हर जन पाएं
सम समाज हो कमल दिलों का खिलता जाए
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ‘भ्रमर ५’
कुल्लू-मनाली
हिमाचल

१-१-२०१६ , ८-५५ पूर्वाह्न

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